Gunjan Kamal

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यादों के झरोखे से " नर्सरी और मैं "

दोस्तों ! हम सभी जानते हैं कि रविवार का दिन हम गृहणियों  के लिए काफी व्यस्तता भरा दिन होता है। उस दिन रविवार का दिन था और व्यस्तता भरे उस दिन की सुबह के साढ़े दस बजे के करीब जब मैं दैनिक  साफ -  सफाई के कामों में लगी थी दीदी मतलब कि हमारी मकान मालकिन मेरे पास आई  और उन्होंने कहा कि आज मुझे नर्सरी जाना है, तुम भी चलो । मैंने कहा कि अभी तो खाना भी बनाना है तो फिर कैसे चले ?  उन्होंने कहा कि मुझे भी तो खाना बनाना है और वैसे भी  डेढ़  बजे तक वापस आ जाएंगे , अभी जल्दी -  जल्दी कुछ बना लो और उसके बाद आकर बनाना ।


दोस्तों! अभी कुछ दिन पहले वह यहां के प्रसिद्ध  माता के मंदिर गई थी जिसमें जाने के लिए पिछले रविवार को उन्होंने मुझे कहा भी था लेकिन कुछ कारणवश  मैं  नहीं जा पाई थी । उसी दिन  का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि तुम हमारे साथ जाना ही नहीं चाहती हो इसलिए कहीं भी हमारे साथ नही जाती हो ।  मैंने कहा कि ऐसी बात नहीं है दीदी ...  कुछ कारण था जिसकी वजह से मैं उस दिन नहीं जा पाई थी लेकिन आप कहती हैं तो आज चलती हूॅं । दीदी खुश हो गई और  उन्होंने कहा कि जल्दी -  जल्दी काम कर लो हमें बारह बजे से पहले निकलना है।


दोस्तों! मैंने भी जल्दी सफाई का काम खत्म किया और  नहा -  धोकर किचन में आ गई थी। जल्दी - जल्दी सब्जी बना ली ... दाल भी बना लिया था। मुझे रोटी भी बनानी थी लेकिन जल्दबाजी के कारण रोटी नहीं बना पाई इस कारण चावल ही कुकर में रख दिया और इस तरह जल्दी-जल्दी मेरा खाना भी बन गया । मुझे जल्दी-जल्दी इसलिए भी खाना बनाना पड़ा क्योंकि पतिदेव जी को बेटी के साथ मार्केट निकलना था इसलिए वह लोग भी जा रहे थे और मुझे भी दीदी के साथ जाना था । मैंने जल्दी-जल्दी खाना बनाया और तैयार होने लगी।  तैयार होना शुरू ही किया था  कि दीदी की बेटी आ गई और मुझसे कहा  कि आंटी ! मम्मी ने कहा है तैयार हो जाओ दस  मिनट में हम लोग निकलेंगे । मैंने जल्दी-जल्दी सूट डाला और तैयार हुई और वो लोग जैसे ही नीचे आए मैं भी तैयार होकर उनके पास आ गई । गाड़ी में बैठने के आधे घंटे बाद ही  हम लोग नर्सरी में पहुंच गए । 


दोस्तों! नर्सरी  का दृश्य देख कर मन खुश हो गया था।बहुत बड़ा नर्सरी था जिसमें सब्जियों के पौधों से लेकर फूलों और फलों के भी पौधे थे । एक बहुत बड़ा इमली का पेड़ भी था । इमली देखते ही बचपन की याद ताजा हो गई और मैंने दीदी से कहा कि इमली का पेड़ देख कर मुझे स्कूल के वह दिन याद आ गए जब हम स्कूल जाते थे और रास्ते में हमारे इमली का एक पेड़ होता था और उसी पर पेड़ से हम इमली  तोड़कर खाते हुए स्कूल जाते थे और वापस लौटते थे ।


दोस्तों! इमली देखते ही उसे खाने की इच्छा हुई थी लेकिन डर लग रहा था कि नर्सरी के किसी  आदमी में से  कोई ने भी  देख लिया तो डांट भी पड़ सकती है । यही सोच कर मन मसोड़  कर मैं  रह गई । मैं  बार-बार इमली के पेड़ को देखे ही जा रही थी क्योंकि बहुत सारे इमली थे उस पेड़ पर । नीचे की भी डाली पर भी बहुत सारी इमली थी जिन्हें हम हाथ से खड़े-खड़े मी तोड़ सकते थे । दीदी की बेटी ने १-२ इमली  तोड़े तो मेरा भी मन किया कि मैं भी तोड़  लूं और जल्दी से मैंने एक इमली तोड़ ली । हम सभी को हंसी भी आ रही थी कि देखो हमारे इमली खाने के लालच ने हमें चोर भी बना दिया ।  हम चोरी करके इमली तोड़  रहे हैं । दीदी को वहां पर वर्ष भर आने वाले आम के पेड़ ..  अमरूद के पेड़ और बेर  के पेड़ लेने थे साथ ही फूल के पेड़ उन्हें अपने बगीचे में लगाने थे इसलिए तो  हम सभी नर्सरी में गए थे । उन्हें पपीते का पेड़ भी लेना था लेकिन वहां पर सब कुछ तो मिल रहा था लेकिन पपीते के पेड़ नहीं दिखे इस कारण वे नहीं ले
पाई


दोस्तों! दीदी ने जिस से आम .. अमरूद .. बेर और फूलों के पेड़ खरीदे थे उनसे इमली तोड़ने के  बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि आप लोग तोड़ लीजिए । बस फिर क्या था हम लोग इमली तोड़ने लगे । हमारे ड्राइवर यह सब देख कर हंस रहा था और कह रहा था कि देखो !  इन लोगों ने  इमली खाने के लालच में आकर आखिरकार  इमली तोड़ ही ली ।


दोस्तों! हमने उस दिन  नर्सरी में  क्या-क्या किया था,  नर्सरी से वापस लौटने में हम लोग इस बात को लेकर बहुत हंसे थे और साथ ही यह भी कहा  कि हमने इमली के लालच में चोरी तक कर ली थी लेकिन शायद हमारी हालत देख कर ही नर्सरी वालों ने हमें इमली तोड़ने के लिए कह दिया था और हम इमली के और भी  चोरी करने से बच गए । 😊😃


दोस्तों! मुझे भी वहां जाकर अच्छा लगा । घर से १२:००  बजे से पहले हम लोग निकले थे और वापस आने में २:००  बज गए । इतने घंटों में हमने बहुत  आनंद लिया था  और हॅंसी -  खुशी खाते -  पीते वापस घर लौट  आए थे । घर आने के बाद वही घर के काम ।  उन्हें निपटाने के बाद ही बिस्तर पर गई थी और उसके बाद सो गई थी ।


दोस्तों!  मन कर रहा है आपसे बातें ही करती रहूं  लेकिन यह संभव नहीं है इसलिए अब  चलती हूॅं  जैसे ही  फुर्सत मिलेगी वैसे ही मिलने आऊंगी तब तक के लिए 👇


🤗🤗अपना ख्याल रखना और खुश रहना🤗🤗


" गुॅंजन कमल " 💗💞💓


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8 Comments

बेहतरीन

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Varsha_Upadhyay

16-Dec-2022 07:11 PM

बहुत खूब

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Renu

11-Dec-2022 03:03 PM

सारी इमली अकेले ही खत्म कर दी मुझे भी भिजवा देते👍👍😋

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